लेखनी प्रतियोगिता -04-Jan-2022 गुमान
गुमान मेरी कलम तू कभी मत करना,
सबसे पहले मांँ शारदे को तू नमन करना ,
जब आशीर्वाद तुझे यहांँ मांँ का जाएगा मिल ,
तब तुम कागज से मिल अपना कर्म करना |
गुमान तो ले डूबा था दुर्योधन को भी ,
शिष्टाचार भुलाकर दुराचार अपनाया उसने भी ,
भीष्म पितामह को तीरों की शैय्या सुहाई ,
दुर्योधन का लौटाया था उन्होंने तकिया भी |
अहंकार में इंद्रदेव ने खुद को श्रेष्ठ जताया ,
त्रिदेव से भी ऊंचा अपना स्थान था बताया,
प्रशंसा दूजे की उनसे सहन ना होती थी ,
घमंड होता बुरा, व्यवहार ने बोध था कराया |
गुमान में राणा ने भी मीरा को जहर दिया ,
श्री कृष्ण ने अपनी भक्त मीरा को बचा लिया ,
भक्ति में इतनी विलीन थी यहांँ मीराबाई ,
ईश्वर ने राजपरिवार का घमंड सारा चूर किया |
अहंकार में होलीका प्रह्लाद को लेकर बैठी थी ,
जल न पाएगी वो खुद इसी सोच में ऐंठी थी ,
विष्णु ने भी तब अपने भक्त का साथ दिया ,
प्रहलाद बचा होलिका को जलाया जिसने वह अग्नि थी |
गुमान जब तुमको जग में होने लगे ,
यहांँ पहचान तुम्हारी अपनी खोने लगे ,
शिक्षा, बुद्धि, दिल पर तुम करना भरोसा ,
दुख देने वाली धारणा जब तू यहांँ ढोने लगे |
उस आवरण को फेंक तू दिमाग से उतारना ,
भावनाओं और आकांक्षाओं पर तू संयम रखना,
तर्क देगा तेरा दिल यहाँ कभी दिमाग भी ,
शक्ति, भक्ति का दीपक मन में जलाए रखना ||
प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Abhinav ji
05-Jan-2022 09:02 AM
अति उत्तम
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Niraj Pandey
04-Jan-2022 11:50 PM
जय हो बहुत ही बेहतरीन👌
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Shrishti pandey
04-Jan-2022 11:48 PM
Nice one
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